जिनकी याद ने मुझे आज पागल कर छोड़ा
भुला देने की जुर्रत ने बेहाल कर छोड़ा
शायद हम मिले न होते तोह अच्छा होता
उनकी आँखों से मेरा कतल तोह न होता
बातों ही बातों में ये प्यार न होता
न पाने का गम इतना ज़्यादा तोह न होता
उनकी याद ने आज मुझे पागल कर छोड़ा
भुला देने की जुर्रत ने बेहाल कर छोड़ा
भुला देने की जुर्रत ने बेहाल कर छोड़ा
शायद हम मिले न होते तोह अच्छा होता
उनकी आँखों से मेरा कतल तोह न होता
बातों ही बातों में ये प्यार न होता
न पाने का गम इतना ज़्यादा तोह न होता
उनकी याद ने आज मुझे पागल कर छोड़ा
भुला देने की जुर्रत ने बेहाल कर छोड़ा